एक दुल्हन, दो दूल्हे: हिमाचल में दो भाइयों से शादी कर बना दी अनोखी मिसाल!

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परिचय – क्यों वायरल है यह शादी?

हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के ट्रांस‑गिरी क्षेत्र में एक महिला, सुनीता चौहान, ने प्रदीप और कपिल नेगी, दो सगे भाइयों से शादी की। यह शादी पारंपरिक “जोड़ीदार” (Polyandry) या “Jodidara” के नाम से जानी जाती है। यह विवाह 12 जुलाई को शुरू होकर 3 दिनों तक चला, जिसमें लोकगीत, नृत्य और संख्या-युक्त रीति‑रिवाज देखने को मिले।

“जोड़ीदार प्रथा” क्या है?

  • यह bahu‑patni विवाह की एक स्वरूप है जहाँ एक महिला सगे भाइयों से शादी करती है।
  • हिमाचल (जिला सिरमौर, किन्नौर, लाहौल‑स्पीति) और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में यह सदियों से चली आ रही है।
  • इसे स्थानीय लोग “Jodidara“, “Ujala Paksha“, या “Draupadi Pratha” कहते हैं – महाभारत की द्रौपदी से प्रेरित।

कैसे और क्यों अपनाई जाती है यह परंपरा?

  1. जमीन की एकता बचाये रखना
    पहाड़ी इलाकों में ज़मीन की महत्ता बहुत होती है। भाइयों का विभाजन होने से जमीन बंट सकती है—”जोड़ीदार” व्यवस्था इसे रोकती है।
  2. पारिवारिक एकता
    एक पत्नी से सभी भाई बंध जाते हैं, जिससे संयुक्त परिवार मजबूत होता है।
  3. साझा पालन‑पोषण
    पत्नी सबके साथ रहती है और बच्चे सभी भाई मिलकर पालते हैं। कानूनी रूप में बड़ा भाई पिता माना जाता है।

विवाह का स्न्याए दृश्य: कैसे हुई रस्म‑रिवाज

  • तीन दिवसीय समारोह: लोकगीत‑नृत्य और सामूहिक उत्सव।
  • Seenj रिवाज: इकट्ठा होकर सुबह‑शाम पुजा और मंत्रोच्चारण विशेष चक्करों के साथ।
  • सात फेरे एक मंडप में: दोनों भाइयों और सुनीता ने एक साथ सात फेरे लिए।
  • सहमती और पारदर्शी फैसला: सभी ने बिना दबाव से यह निर्णय लिया, और सार्वजनिक रूप से इसे अपनाया।

कानूनी स्थिति क्या है?

  • भारत में Hindu Marriage Act (1955) के तहत बहुपति विवाह मान्य नहीं है, लेकिन यह कानून अनुसूचित जनजातियों पर लागू नहीं होता।
  • हिमाचल प्रदेश की राजस्व कानूनों और High Court ने इसे “Jodidar Law” के तहत संरक्षण दिया है।
  • इसलिए यह सांस्कृतिक परंपरा कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त मानी जाती है।

समाज में लोगों की प्रतिक्रिया

  • सुनीता ने कहा, “मैं इस संस्कृति को जानती थी और मैंने यह फैसला निस्वार्थ लिया”।
  • प्रदीप‑कपिल ने बताया, “हमें इस पर गर्व है, हमने पारदर्शिता से फैसला लिया”।
  • समाज दो धुरों में बंटा:
    • कुछ लोग इसे आधुनिक और प्रेम‑आधारित फैसला मान रहे हैं।
    • वहीं दूसरे इसे पुराने समय की परंपरा और जमीन की सुरक्षा बताकर चुन रहे हैं।

निष्कर्ष

यह शादी सिर्फ एक समारोह नहीं है, बल्कि ठोस संदेश है—परंपरा, लगन, और साझा ज़िंदगी की। हिमाचल की पहाड़ियों में उभरी यह संस्कृतिक कहानी हमें यह सिखाती है कि परंपरा जब अर्थपूर्ण और व्यक्ति‑निहित हो, तब वह समाज में अपना स्थान बनाए रखती है।

सामान्य सवाल (FAQs)

Q1: क्या ‘जोड़ीदार प्रथा’ कानूनी रूप से मान्य है?

हिंदू विवाह अधिनियम में यह मान्य नहीं, लेकिन अनुसूचित जनजातियों में इसे कानूनी छूट और संरक्षण मिलता है।

Q2: सुनीता ने कैसे फैसला लिया?

सुनीता ने PTI को बताया कि यह निर्णय उसने बिना दबाव और स्वयं-समझदारी से लिया।

Q3: बच्चों की देखभाल कैसे होती है?

आमतौर पर बड़े भाई को कानूनी पिता माना जाता है, लेकिन देखभाल और पालन‑पोषण सभी भाई साझा करते हैं।

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